पिता का साया (कविता )प्रतियोगिता हेतु24-Apr-2024
पिता का साया (कविता) प्रतियोगिता हेतु
माँ है एक जादू की झप्पी घर आंँगन को महकाए, उसके रहने पर घर सबको जन्नत जैसा भाए।
पिता तो है एक माली जैसा हर दिन परिवार को सींचे, कुटुंब ख़ुशी हेतु कार्य करे कभी दाँतों को ना भींचे।
दुख- बाधा जितनी भी आए देख ना वो घबराता, उसके रहते दुख का बादल कभी नहीं घहराता।
काँट-कूश से राहों पर वह फूल सरीखे चलता, बुरी नज़र यदि डाला कोई धूल में उसको मलता।
माथे पर जब हाथ रखे पूरी दुनिया मिल जाती, हटा हाथ जो सर से उसका दुनिया ही लुट जाती।
ना उसकी कोई ख़्वाहिश होती होती ना कोई इच्छा, मंदिर, मस्जिद ,गुरुद्वारे मांँगे संतति ख़ुशी की भिक्षा।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
25-Apr-2024 11:47 PM
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